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Operating system के प्रकार in hindi .

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हेलो दोस्तों तो कैसे हैं, आप लोग। हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आज हम इस आर्टिकल में operating system के प्रकारों के बारे में जानेंगे। दोस्तों ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जो यूजर को कंप्यूटर पर कार्य करने के लिए मदद करता है। यह एक प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर को मैनेज करने का कार्य करता है। और कंप्यूटर प्रोग्राम के लिए सेवाएं प्रदान करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे और कंप्यूटर के बीच में एक इंटरफेस की तरह कार्य करता है।

दोस्तों ऑपरेटिंग सिस्टम एक सॉफ्टवेयर होता है। जिसे कार्य करने के आधार पर, उपयोग के आधार पर, और विकास क्रम के आधार पर कई प्रकार में बांटा गया है। ऑपरेटिंग सिस्टम कई प्रकार के होते हैं।

दोस्तों अगर आप भी ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारे साथ अंत तक बने रहे। हम आपको यहां पर ऑपरेटिंग सिस्टम की पूरी जानकारी देंगे। तो चलिए अब बिना देर किए शुरू करते हैं। लेकिन उससे पहले हम जान लेते हैं, ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है।


ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है। (what is operating system in hindi)-

ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है, जिसमें कंप्यूटर को बूट करते समय उसमें लोड किए गए प्रोग्राम शामिल होते हैं। यह कंप्यूटर में अन्य एप्लीकेशन को चलाने में शामिल होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम का एक बहुत बड़ा समूह होता है, जो कंप्यूटर सिस्टम की गतिविधियों को नियंत्रित करने का कार्य करता है। दोस्तों अगर आप ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में और अच्छे से जानना चाहते हैं, तो हमने इसके ऊपर एक आर्टिकल लिख रखा है। हम यहां पर नीचे आपको उस आर्टिकल की लिंक दे रहे हैं, जिस पर आप क्लिक करके ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में और अच्छे से जान पाएंगे।


                      Operating System



ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (types of operating system in hindi) -


Operating system को निम्न प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। काम करने के आधार पर, उपयोग के आधार पर, विकास क्रम के आधार पर।


(1) काम करने के आधार पर - 

काम करने के आधार पर इन्हें दो भागों में बाटा गया है। 


(•)कैरेक्टर यूजर इंटरफेस (character user interface) -

इसे कमांड लाइन इंटरफेस के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कंप्यूटर को ऑपरेट करने के लिए विशेष प्रकार की कमांड दी जाती है। इसमें केवल टेक्स्ट का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में टाइपिंग के द्वारा कार्य किया जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। एम एस डॉस।


(•) ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (graphical user interface) - यह ऑपरेटिंग सिस्टम ग्राफिक पर आधारित होता है। मतलब हमारे द्वारा की-बोर्ड और माउस की सहायता से कंप्यूटर को जो इनपुट देते हैं, और वहां पर जो हमें इंटरफ़ेस दिया जाता है, वह ग्राफिकल होता है। मतलब यहां पर सभी प्रकार के बटन और मेन्यू होते हैं।

(2) उपयोग के आधार पर - 

उपयोग के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम को दो भागों में बांटा गया है।


(•) सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (single user operating system )- यह ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर पर एक बार में केवल एक ही व्यक्ति को कार्य करने की अनुमति देता है। मतलब यहां पर केवल एक ही व्यक्ति काम कर सकता है। एक बार में एक से अधिक यूजर अकाउंट हम यहां पर नहीं कर क्या बना सकते हैं। Example के लिए एम एस डॉस, विंडोज 95, 98 आदि।


(•) मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (multi user operating system )- ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम जिसमें एक से अधिक यूजर अकाउंट बना सकते हैं, और उन पर काम कर सकते हैं। वह मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम कहलाते हैं। इसमें प्रत्येक यूजर को कंप्यूटर से जुड़ा एक टर्मिनल दे दिया जाता है। Example के लिए लाइनेक्स, यूनिक, विंडोज।


(3) विकास क्रम के आधार पर -

  विकास क्रम के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न प्रकार के होते हैं।

(•) Batch processing Operating system

(•) Multi Prosessing Operating system

(•) Multitasking Operating system

(•) Real-time Operating systems

(•) Multi Processing Operating systems

(•) Distributed Operating systems

(•) Time Sharing Operating systems

(•) Embedded Operating system

(•) Network Operating systems

(1) Batch Processing Operating Systems -

Batch Processing operating system का उपयोग पहले main frame कंप्यूटर में किया जाता था। उस समय basic caculation कंप्यूटर के द्वारा दी जाती थी। बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर में सबसे पहले उपयोग हुए ऑपरेटिंग सिस्टम में से एक है। बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर सीधे कंप्यूटर से संपर्क नहीं कर सकते हैं। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर इसको स्वयं को उपयोग न करने के बजाए अपने जॉब को पंच कार्ड (punch card) या इसी प्रकार की अन्य डिवाइस से ऑपरेट कर देते हैं। मतलब इसमें यूजर अपनी जॉब को ऑफलाइन डिवाइस जैसे- पंच कार्ड का उपयोग करके तैयार करता है, और इसे कंप्यूटर ऑपरेटर को दे देता है। (यहां job का अर्थ है, प्रोग्राम से लेकर इनपुट डाटा और सारे कंट्रोल इंस्ट्रक्शन जिन्हें पहले ही लिख कर एक बंडल के रूप में तैयार किया गया हो) तथा ऑपरेटर सभी जॉब का समूह बनाकर उसे चला देता है। मतलब इसकी प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ाने के लिए ऑपरेटर समान जरूरतो वाली जॉब को छाटते हैं। और उनका एक बेच (batch) तैयार करते हैं। फिर बेच को एक-एक करके cpu के द्वारा प्रोसेस किया जाता है।


Advantage of Batch OS - 

(•) इसमें एक बेच के अंदर समान जॉब है, तो cpu को इसे प्रोसेस करने में कम समय लगता है।

(•) इसमें एक से ज्यादा यूजर बेच सिस्टम को शेयर कर सकते हैं।


Disadvantages of Batch OS - 

(•) इसमें यदि कोई जॉब fail होती है, तो इसे दूसरी जॉब को प्रोसेस होने के लिए बहुत अधिक लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है।

(•) एक बार जॉब इनपुट कर देने पर यूजर को उससे कोई भी इंटररेक्शन नहीं होता है।

(•) यह प्रक्रिया महंगी होती हैं।


(2) Multiprogramming Operating System - 

अगर कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी में एक से अधिक प्रोसेस क्या प्रोग्राम को निष्पादित करने के लिए रखा गया है, तो इसे multi programming कहा जाता है। Multiprogramming ऑपरेटिंग सिस्टम में एक cpu में एक से अधिक प्रोसेसिंग होती है। मतलब एक RAM में कई प्रोसेसिंग होती है। जब कंप्यूटर में कोई प्रोसेस रन होती है, तो उसे cpu टाइम के अलावा input output टाइम की आवश्यकता होती है। यदि किसी कारण से प्रोसेसिंग रुक जाती है, तो cpu खाली नहीं रहता, वह दूसरी प्रोसेस को execute करता है। मतलब cpu मुख्य मेमोरी में पड़ी दूसरी प्रोसेस को चलाने लगता है। इस तरह से cpu भी बेकार नहीं रहता है, और दूसरी प्रोसेस को निष्पादित होने के लिए इंतजार भी नहीं करना पड़ता है।

advantages of multiprogramming os - 

(•) इसमें cpu का अधिक उपयोग होता है।

(•) इसमें उच्च और कुशल cpu की आवश्यकता होती है।

(•) मेमोरी में मौजूद दूसरे प्रोग्राम को प्रोसेसिंग के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है।


disadvantages of multiprogramming os - 

(•) इसमें मेमोरी मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है। Job मैं स्थान देने के लिए मेमोरी को।

(•) मुख्य मेमोरी को मैनेज करना आवश्यक होता है।

(•) मेमोरी fail होने जैसी दिक्कत सामने आती है।


(3) Multi Tasking Operating System -

multitasking operating system एक समय में एक से अधिक कार्यों को करता है। जैसे- program, process, threads आदि। इसमें प्रोसेसर बहुत जल्दी-जल्दी अलग-अलग प्रोसेस को समय प्रदान करता है। जिसे cpu शेड्यूलिंग कहते हैं। तथा यह कार्य इतनी अधिक तेजी से होते हैं, कि यूजर को सभी कार्य एक साथ होते हुए प्रतीत होते हैं। इसमें time sharing भी मौजूद हैं। क्योंकि यह एक समय में एक ही cpu का उपयोग करके अलग-अलग processor को टाइम शेयर करता है। इसका लाभ यह है, कि इसमें cpu के खाली समय का सर्वोत्तम उपयोग हो जाता है।


advantages of multi tasking os - 

(•) इसमें प्रत्येक काम को बराबर समय मिलता है।

(•) इसमें यूजर के प्रोग्राम और डेटा की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है।

(•) एक साथ कई समस्याओं को निष्पादित किया जा सकता है।


disadvantages of multi tasking os -

(•) इसमें विश्वसनीयता की समस्या आती है।

(•) Data Communication कि समस्या होती है।


(4) Real Time Operating System - 

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम Data प्रोसेसिंग सिस्टम के रूप में भी जाने जाते हैं। इसे RTOS भी कहा जाता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम Real-Time में काम करते हैं। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम में इनपुट बहुत कम समय में प्राप्त किया जाता है। इनमें किसी इवेंट को क्रियान्वित करने के लिए एक पूर्व समय निर्धारित होता है, जिसे रिस्पांस टाइम कहा जाता है। RTOS का उपयोग किया जाता है, जब समय की जरूरत बहुत सख्त होती है। यह ज्यादातर प्रोसेस कंट्रोल एवं टेलीकम्युनिकेशन में अधिक उपयोग किए जाते है। इनका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों, मेडिकल इमेजिंग सिस्टम, औद्योगिक नियंत्रण सिस्टम, रोबोट्स, हवाई यातायात नियंत्रण, मिसाइल सिस्टम आदि में होता है। यह दो प्रकार के होते हैं।


(•) Hard Real Time System -  यह किसी संवेदनशील कार्यों को निश्चित समय में पूरा करने की गारंटी देता है। इनमें दृतियक मेमोरी ना के बराबर होती है, या होती ही नहीं है।


(•) Soft Real Time System -  ये हार्ड रियल टाइम के मुकाबले कम प्रतिबंधात्मक होते हैं। प्रतिक्रिया समय में थोड़ी देरी इसमें स्वीकार्य की जा सकती है। मल्टीमीडिया, वर्चुअल, रियलिटी आदि कार्यों में इनका उपयोग अधिक होता है।


advantages of real time os - 

(•) इसमें किसी भी प्रकार की error नहीं होती है। और प्रोग्राम का साइज छोटा होता है।

(•) डिवाइस और सिस्टम का अधिकतम उपयोग होता है।

(•) इस सिस्टम में किसी भी कार्य को शिफ्ट करने का निर्धारित समय बहुत कम होता है। यह 3 microsecond लेता है।


disadvantages of RTOS -

(•) एक समय में बहुत कम टास्क को चलाया जा सकता है।

(•) इसके सिस्टम संसाधन कभी-कभी अच्छे नहीं होते हैं, और महंगे भी होते हैं।

(•) प्रोग्रामर के लिए algorithm बनाना बहुत कठिन होता है।


(5) Multiprocessing Operating System - 

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम उन जगहों पर उपयोग किए जाते हैं, जहां पर एक से अधिक प्रोसेसर सिस्टम में लगे हुए होते हैं। इन सिस्टम के पास पैरेलल में काम करने वाले कई प्रोसेसर होते हैं। जो कंप्यूटर क्लॉक, मेमोरी, बस और पेरीफेरल डिवाइस को आपस में साझा करते हैं। एक से अधिक प्रोसेसर इस्तेमाल करने की तकनीक को पैरेलल प्रोसेसिंग कहा जाता है।


(6) Distributed Operating System - 

जब कई सारे कंप्यूटर किसी नेटवर्क के माध्यम से आपस में इंटरकनेक्ट होकर एक दूसरे से टास्क शेयरिंग करते हैं, तो उसे Distributed operating system कहते हैं। यह कई सारे प्रोसेसर का उपयोग कर विभिन्न एप्लीकेशन को चलाते हैं। और इन एप्लीकेशन का उपयोग भी कई सारे यूजर करते हैं। इन्हें लूजली कपल्ड ऑपरेटिंग सिस्टम भी कहते हैं। इसमें प्रत्येक processor की अपनी मेमोरी होती है। यह मेमोरी को शेयर नहीं करते हैं, तथा इसमें यूजर को बहुत सारे रिसोर्स उपयोग करने के लिए मिल जाते हैं। और अगर इसमें एक सिस्टम बिगड़ जाए तो अन्य सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है। यह दो प्रकार के होते हैं। 

(•) क्लाइंट सर्वर सिस्टम  

(•) पियर-टू-पियर सिस्टम।


(7) Time Sharing Operating System - 

Time sharing ऑपरेटिंग सिस्टम एक उपयोग नेटवर्क में किया जाता है। तथा इसके माध्यम से विभिन्न यूजर एक ही समय में एक ही प्रोग्राम का उपयोग कर सकते हैं। टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रत्येक प्रोसेस को निष्पादित होने के लिए एक फिक्स्ड टाइम दिया जाता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर के अकाउंट बना दिए जाते हैं, जिससे किस यूजर को सॉफ्टवेयर उपयोग करने हेतु कितनी परमिशन मिली है, यह पता चलता है। इसमें प्रत्येक उपयोगकर्ता cpu का इस्तेमाल करने के लिए आपस में टाइम शेयरिंग करेंगे। जैसे- यदि एक यूजर को cpu इस्तेमाल करने का समय 2 सेकंड दिया जाता है, तो 2 सेकंड के बाद वह अपने आप ही दूसरे यूजर को उपलब्ध हो जाएगा। और यह इसी तरह से बढ़ता चला जाता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम को multitasking OS हम भी कहते हैं।


(8) Embedded Operating System - 

Embedded systemp ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो कि किसी इलेक्ट्रॉनिक्स या अन्य प्रकार की हार्डवेयर डिवाइस में ही उपस्थित रहते हैं। यह रोम में ही उपस्थित रहते हैं। इनका उपयोग घरेलू उपयोग वाले उपकरणों में किया जाता है। जैसे- वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन, कार मैनेजमेंट सिस्टम, ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम आदि।


(9) Network Operating System - 

Network ऑपरेटिंग सिस्टम मैं एक सर्वर होता है। जिससे कई दूसरे क्लाइंट कंप्यूटर से जुड़े रहते हैं। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा एक सिस्टम सॉफ्टवेयर को सर्वर पर चलाया जाता है। इसमें सर्वर  यूजर के data, groups, security, application और अन्य networking  कार्य को मैनेज करता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम नेटवर्क की मदद से कंप्यूटर के बीच फाइल्स, प्रिंटर और अन्य डिवाइस को शेयर कर सकते हैं। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर सिस्टम को अधिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है। इसमें Tightly Coupled System के नाम से भी जाना जाता है।

तो दोस्तो यह थे, ऑपरेटिंग सिस्टम प्रकारों के बारे में जानकारी। हमे उम्मीद है, आपको ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकारों के बारे में अच्छे से समझ आया होगा। 


Conclusion -

आज इस पोस्ट में हमने आपको ऑपरेटिंग सिस्टम किसे कहते है। और यह कितने प्रकार के होते है। इसके बारे में आपको पूरी जानकारी दी है। में आशा करता हु की आप लोगो को operating system किसे कहते है। इसके बारे में अच्छे से समझ आया होगा। अगर यदि आपको अभी भी इस पोस्ट को लेकर कुछ डाउट्स है, तो आप हमे नीचे comments करके जरूर बताये।

ओर यदि आपको हमारी पोस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम किसे कहते है। हिंदी में अच्छी लगी हो ओर आपको इससे कुछ सीखने का मिला हो तो हमे comments करके जरूर बताए।ओर इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ whatsapp group , facebook ओर अन्य social networks site's पर शेयर करे और इस जानकारी को अन्य लोगो तक पहुचाने में हमारी मदद करे।

अभी के लिए बस इतना ही। हमारी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो।
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