हेलो दोस्तों तो कैसे हैं, आप लोग। हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आज हम आपको इस आर्टिकल में सेकेंडरी मेमोरी के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
दोस्तों जैसा कि हम सबको पता होता है, कंप्यूटर में दो प्रकार की मेमोरी होती है। प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी। और हम सबको पता है, की कंप्यूटर में इन दोनों में मेंमोरी का उपयोग कहां और क्यों किया जाता है। कंप्यूटर में image, video, software और बहुत सारा डाटा हम प्राइमरी मेमोरी की सहायता से सेव करते हैं। लेकिन इस डाटा को ज्यादा समय तक कंप्यूटर के अंदर स्टोर नहीं किया जा सकता। क्योंकि प्राइमरी मेमोरी volatile प्रकृति की होती है। मतलब इसमें डाटा स्थाई रूप से स्टोर नहीं किया जा सकता। कंप्यूटर के ऑफ या बंद होते ही डाटा अपने आप डिलीट हो जाता है। इसलिए कंप्यूटर में सेकेंडरी मेमोरी का उपयोग किया जाता है।
अगर दोस्तों आपको भी सेकेंडरी मेमोरी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है, तो आज हम आपको इस पोस्ट में सेकेंडरी मेमोरी की जानकारी देंगे। इसलिए आप हमारे साथ आखरी तक बने रहे। तो चलिए अब बिना देर किए शुरू करते हैं। लेकिन इससे पहले हम जान लेते हैं, सेकेंडरी मेमोरी क्या है।
सेकेंडरी मेमोरी क्या है। (what is secondary memory in hindi) -

Secondary memory कंप्यूटर की permanent storage device होती हैं। इसे Auxiliary Storage Device या द्वितीय मेमोरी (secondary memory) भी कहा जाता है। यह कंप्यूटर का भाग नहीं होती है, मतलब इसे कंप्यूटर में अलग से जोड़ा जाता है। यह एक ऐसी मेमोरी होती है, जिसमें डेटा स्थाई रूप से स्टोर रहता है। मतलब कंप्यूटर के बंद हो जाने के बाद भी इसमें से डाटा डिलीट नहीं होता है। कंप्यूटर में इसकी सहायता से बड़ी मात्रा में डाटा और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को स्थाई रूप से स्टोर किया जाता है। इसमें स्टोर किया गया डाटा यूजर द्वारा डिलीट किए जाने पर ही डिलीट होता है। इसकी स्टोरेज क्षमता प्राइमरी मेमोरी से अधिक होती है, लेकिन इसकी गति थोड़ी कम होती है। कंप्यूटर के अंदर जितने भी video, image, app, software, file और अन्य डाटा वह सब सेकेंडरी मेमोरी में ही स्टोर होता है। कंप्यूटर के बंद हो जाने के बाद भी इसमें डाटा सुरक्षित रहता है। इसलिए इसे Non-Volatile भी कहा जाता है। सेकेंडरी मेमोरी को जरूरत पड़ने पर अपग्रेड यानी घटाया, बढ़ाया भी जा सकता है। सेकेंडरी मेमोरी की सबसे बड़ी खासियत यह होती है, कि इनकी स्टोरेज कैपेसिटी अधिक होती है। इसमें बहुत अधिक मात्रा में डाटा को स्टोर किया जा सकता है। तथा यह सस्ती भी होती है। दोस्तों अब तो आप सेकेंडरी मेमोरी क्या है यह जान गए हैं। अब हम इसके प्रकार के बारे में पड़ेंगे।
सेकेंडरी मेमोरी के प्रकार (Types of secondary memory in Hindi)-
सेकेंडरी मेमोरी मुख्य रूप से चार प्रकार की होती है।
Megnetic Tape.
Megnetic Disk.
Optical Disk.
Flash Memory या Flash Drive.
(1) Megnetic Tape - यह एक स्टोरेज डिवाइस होती है, जो दिखने में किसी पुराने जमाने के टेप रिकॉर्डर की तरह होती है। यह एक Sequential Access Memory होती है, जिसमें
Data को क्रम के अनुसार एक्सेस किया जा सकता है। इस मैग्नेटिक टेप में एक पतला फीता होता है। जिस पर मैग्नेटिक लिंक (megnetic link) की कोडिंग (coading) की जाती है। मतलब इसमें प्लास्टिक के रिबन पर चुंबकीय पदार्थ की परत चढ़ी होती है, जिस पर एनालॉग और डिजिटल डाटा को स्टोर करने के लिए हेड का उपयोग किया जाता है। इस मैग्नेटिक टेप का उपयोग बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह सस्ती होती है। इसका उपयोग बहुत पहले बंद हो गया था, लेकिन कुछ लोगों के द्वारा इसका उपयोग आज भी डाटा का बैकअप तैयार करने के लिए किया जाता है।
(2) Megnetic Disk - इसका उपयोग कंप्यूटर में मुख्य सेकेंडरी मेमोरी के रूप में किया जाता है। इसमें डाटा को प्राप्त करने के लिए Direct Access Method का उपयोग किया जाता है। मतलब इस मेमोरी में यूजर सेकेंडरी मेमोरी मैं स्टोर डाटा को सीधे एक्सेस कर सकता है। यह दो प्रकार की होती है।
Flopy Disk और Hard Disk Drive
(•) Flopy Disk - फ्लॉपी डिस्क प्लास्टिक से बनी एक गोल डिस्क होती है। जिस पर फेराइट की परत चढ़ी होती है। इसे Floppy Diskette भी कहा जाता है। यह एक लचीली मैग्नेटिक डिस्क की बनी होती है, जो प्लास्टिक के कवर में बंद रहती हैं। जिसे जैकेट कहते हैं। फ्लॉपी डिस्क के बीच में एक पॉइंट बना होता है। जिससे इस ड्राइव की डिस्क घूमती है। यह एक मैग्नेटिक टेप के समान कार्य करती है। जो 360 RPM प्रति मिनट की दर से घूमती है। जिसकी वजह से इसमें Recording Head के खराब हो जाने की समस्या होती है। अगर हम फ्लॉपी डिस्क में से जानकारी read और write करना है, तो उसके लिए हमारे कंप्यूटर में flopy disk drive (FDD) लगा होना चाहिए। यह आकार और स्टोरेज के आधार पर दो प्रकार की होती है।
Mini Flopy - इसका उपयोग सबसे पहले एप्पल कंप्यूटर में किया गया था। इसका व्यास 31/2 इंच होता है। तथा इसकी स्टोरेज क्षमता 1.44 MB होती है। इसे कंप्यूटर में Read करने के लिए 31/2 इंच के फ्लॉपी डिस्क रीडर की आवश्यकता होती है।
Micro Flopy - इसका व्यास 51/2 इंच होता है। तथा इसकी स्टोरेज क्षमता 2.88 MB होती है। और इसमें भी 51/2 फ्लॉपी डिस्क रीडर की आवश्यकता होती है।
(•) Hard Disk Drive - इसे कंप्यूटर की मुख्य स्टोरेज डिवाइस कहा जाता है। यह एक एल्युमिनियम धातु की डिस्क होती है, जिस पर पदार्थ का लेप चढ़ा होता है। यह हमारे कंप्यूटर सिस्टम में मौजूद ऐसी एकमात्र मेमोरी होती है, जो हमारे डाटा, एप्लीकेशन, ऑपरेटिंग सिस्टम को अधिक समय तक स्टोर करके रखती हैं। इसलिए इसे परमानेंट स्टोरेज डिवाइस भी कहा जाता है।
हार्ड डिस्क के अंदर एक डिस्क घूमती है। और यह डिस्क जितनी तेजी से घूमती है, उतनी ही तेजी से हम डाटा को store या read कर सकते हैं। हार्ड डिस्क के घूमने की गति को RPM (Revolutions Per Minute) मैं नापते हैं। अधिकतर हार्ड डिस्क 5200 से 7200 तक RPM की होती है।
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(3) Optical Disk - Optical Disk भी एक स्टोरेज डिवाइस का माध्यम होती है। जिसका उपयोग हम कंप्यूटर में सेकेंडरी मेमोरी के रूप में करते हैं। यह पॉली कार्बोनेट की एक गोल डिस्क होती है, जिस पर रासायनिक पदार्थ का लेप रहता है। इसमें डेटा डिजिटली रुप में सुरक्षित रहता है। और ऑप्टिकल डिस्क में डाटा को रीड तथा राइट करने के लिए कम क्षमता वाले लेजर प्रकाश का उपयोग किया जाता है। इनका उपयोग आमतौर पर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम, म्यूजिक वीडियो को स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह हार्ड-डिस्क जितना डाटा स्टोर तो नहीं कर सकती है, परंतु फ्लॉपी डिस्क के मुकाबले इनकी स्टोरेज कैपेसिटी अधिक होती है। यह तीन प्रकार की होती है।
(•) CD (Compact Disc) - CD प्लास्टिक से बनी एक गोलाकार डिस्क होती है। जो डाटा को स्टोर करने का कार्य करती हैं। CD का पूरा नाम कॉम्पेट डिस्क होता है। इसका ज्यादातर उपयोग ऑडियो, वीडियो,
एप्लीकेशन आदि को स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह एक Removable डिस्क होती है। मतलब इसे कंप्यूटर सिस्टम में अंदर डाला जा सकता है, और बाहर भी निकाला जा सकता है। इसमें 700 MB तक डाटा को स्टोर किया जा सकता है। इसमें डाटा बहुत अधिक समय तक स्टोर रह सकता है। परंतु इसकी सतह पर स्क्रैच आने पर डाटा को read और write करने में परेशानी होती है।
(•) DVD (Digital Versatile Disc) - इसका पूरा नाम Digital Versatile Disc है। इसे Digital Video Disc भी कहा जाता है। यह CD के समान ही होती है। परंतु इसकी स्टोरेज क्षमता से अधिक होती है। इसमें हम बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर कर सकते हैं। इसकी स्टोरेज क्षमता 4.7 GB से लेकर 16 GB तक होती है। इसका उपयोग ज्यादातर HD (High Definition) वाले वीडियो, इमेज, मूवी को स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसमें भी स्क्रैच वाली प्रॉब्लम देखने को मिलती है।
(•) Blue-ray Disc - यह भी एक ऑप्टिकल डिस्क होती हैं। जो CD और DVD के समान ही दिखाई देती है। लेकिन हम इसमें CD और DVD से अधिक मात्रा में डाटा को स्टोर कर सकते हैं। इसमें डाटा को Read और Write करने के लिए लेजर प्रकाश का उपयोग किया जाता है। यह लेजर प्रकाश नीले रंग जैसी बैंगनी किरण होती हैं। इसलिए इसे Blue-Ray कहा जाता है। blue-ray डिस्क में हम 40 से 50 GB तक डाटा स्टोर कर सकते हैं। इसमें हाई डेफिनेशन वाली मूवी, वीडियो आदि को स्टोर किया जाता है।
(4) Flash Memory या Flash Drive - यह सबसे ज्यादा पापुलर सेकेंडरी मेमोरी है, जिसका उपयोग वर्तमान समय में सबसे ज्यादा किया जाता है। इसका ज्यादातर उपयोग डाटा का बैकअप रखने के लिए किया जाता है। इसमें डाटा को Electrically स्टोर और डिलीट किया जाता है। इसलिए यह अन्य मेमोरी से अलग होती है। इसका उपयोग हम एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा ट्रांसफर करने के लिए भी करते हैं। वर्तमान समय में इनका उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया है। यह निम्न प्रकार की होती हैं।
(•) Pen Drive - यह वर्तमान समय की सबसे ज्यादा पॉपुलर और पोर्टेबल सेकेंडरी मेमोरी है। जिसे USB पोर्ट के माध्यम से कंप्यूटर के साथ जोड़ा जाता है। इसका उपयोग वीडियो, डाटा, ऑडियो, इमेज आदि को स्टोर करने के लिए तथा एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।
(•) Memory Card - यह एक छोटी chip होती है। जिसका ज्यादातर उपयोग मोबाइल, कैमरा और अन्य पोर्टेबल डिवाइस के डाटा रखने के लिए किया जाता है। इसमें हम अधिक मात्रा में डाटा को store कर सकते हैं। और ज्यादातर इसका उपयोग मोबाइल में स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है।
(•) SSD - इसका पूरा नाम Solid State Drive है। इसका उपयोग आजकल कंप्यूटर में बहुत ज्यादा किया जा रहा है। यह HDD के मुकाबले बहुत फास्ट होती है। लेकिन यहां HDD से महंगी भी होती है। SSD मैं NAND Flash Memory का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें किसी भी तरह का मूविंग पार्ट नहीं होता है। जबकि HDD मैं डाटा को स्टोर और प्राप्त करने के लिए मूविंग पार्ट (moving part) का उपयोग किया जाता है।
Secondary memory की विशेषता -
(•) इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि इसमें डाटा को परमानेंटली (permanently) स्टोर किया जा सकता है।
(•) यह Non-Volatile प्रकृति की मेमोरी होती है।
(•) इनकी स्टोरेज क्षमता काफी अधिक होती है।
(•) यह प्राइमरी मेमोरी की तुलना में काफी सस्ती होती है।
(•) कंप्यूटर में किसी भी प्रकार के डाटा का बैकअप लेने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
तो दोस्तों अब तो आपको समझ आ गया होगा सेकेंडरी मेमोरी किसे कहते हैं। और यह कितने प्रकार की होती है।
दोस्तों मुझे उम्मीद है आपको हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी।
Conclusion -
आज इस पोस्ट में हमने आपको secondary memory किसे कहते है। तथा यह कितने प्रकार के होते है। ओर इसके उपयोग के बारे में आपको पूरी जानकारी दी है। में आशा करता हु की आप लोगो को सेकेंडरी मेमोरी किसे कहते है। इसके बारे में अच्छे से समझ आया होगा। अगर यदि आपको अभी भी इस पोस्ट को लेकर कुछ डाउट्स है, या फिर हमारी इस पोस्ट में कुछ सुधार करने की जरूरत है, तो आप हमे नीचे comments करके जरूर बताये।
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