हैलो दोस्तो तो कैसे है, आप लोग। हम सब जानते हैं कि सॉफ्टवेयर का उपयोग आमतौर पर कंप्यूटर को कंट्रोल करने और किसी एप्लीकेशन को डेवलप करने में किए किया जाता है। जब भी हम किसी कंप्यूटर के बारे में पूछते है तो हम अक्सर यह सवाल पूछते हैं कि सिस्टम सॉफ्टवेयर कौन सा है। तथा कैसा काम करता है। हम इसके फीचर्स के बारे में पूछते हैं। बहुत सारे लोगो को सिस्टम सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी नही होती है। तथा कुछ लोग ऐसे भी जो इसके बारे में भी जानना चाहते हैं। अगर आपको सिस्टम सॉफ्टवेयर के बारे में पता है तो बहुत अच्छी बात है और अगर नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं आज हम आपको इस पोस्ट में सिस्टम सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी देंगे।
कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर का उपयोग Application को डेवलप करने और कंप्यूटर को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम, वेबसर्वर, कंपाइलर, डेटाबेस मैनेजर और अन्य नेटवर्क डिवाइस को कंट्रोल करने के लिए प्रोग्राम शामिल होते हैं।कंप्यूटर सिस्टम में सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर (system software) और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (application software), सिस्टम सॉफ्टवेयर एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम होता है। जिसे Hardware और एप्लीकेशन प्रोग्राम को Run करने के लिए design किया गया होता है।
कुछ लोग ऑपरेटिंग सिस्टम (operating system) को ही सिस्टम सॉफ्टवेयर मानते हैं। क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम ही कंप्यूटर के सभी प्रोग्राम को कंट्रोल करने का कार्य करता है। यही कंप्यूटर में सभी प्रोग्राम को Run करने का कार्य करता है। तथा बाकी सभी चीजे ऐसे instruct कर रहे होते हैं। अगर आप भी सिस्टम सॉफ्टवेयर के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारी इस पोस्ट को अंत तक पढ़ते रहिए। जिससे आपको भी इसके बारे में बहुत कुछ जानकारी हो जाएगी तो चलिए अब बिना देर किए शुरू करते हैं सिस्टम सॉफ्टवेयर किसे कहते हैं।
सिस्टम सॉफ्टवरे क्या है। (What is System Software in hindi) -
System software उन प्रोग्राम या फाइल को कहा जाता है जो कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को बनाते हैं। इस सिस्टम सॉफ्टवेयर में बहुत सी चीजें होती है। जैसे - फंक्शन, सिस्टम सर्विसेस, प्रिंटर, लाइब्रेरीज आदि। इस सिस्टम सॉफ्टवेयर में जो प्रोग्राम होते हैं उनमें मुख्य रूप से Compilers, assemblers, system utilites, file managment, tools, तथा debuggers आदि शामिल होते हैं। एक तरह से सिस्टम सॉफ्टवेयर ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं जो हमारे कंप्यूटर के Hardware को मैनेज और कंट्रोल करने का कार्य करते हैं। इन्हीं के कारण Application Software हमारे कंप्यूटर में काम कर पाते हैं।
System software को "लो-लेवल" सॉफ्टवेयर भी कहा जाता है। क्योंकि यह हमारे कंप्यूटर के सबसे बेसिक लेवल पर चलता है। यह कंप्यूटर में यूजर इंटरफेस उत्पन्न करता है। और ऑपरेटिंग सिस्टम को हार्डवेयर के साथ इंटरेक्ट करने की अनुमति प्रदान करता है। हमारे कंप्यूटर में जब ऑपरेटिंग सिस्टम को किया install जाता है उसी के साथ ही सिस्टम सॉफ्टवेयर भी हमारे कंप्यूटर में installed हो जाते हैं।system software मैं जो प्रोग्राम्स होते हैं उन्हें low-level language में लिखा जाता है। जिससे कि यह हार्डवेयर के साथ आसानी से तथा basic level में interact कर सके। सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या कर रहा है इसके बारे में हमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है। क्योंकि यह बैकग्राउंड में चलता है। और आप हमेशा यहां "High-Level" में कार्य कर रहे होते हैं।
सिस्टम सॉफ्टवेयर का सबसे सरल उदाहरण हमारा ऑपरेटिंग सिस्टम मतलब हमारी विंडोज जो भी हम इस्तेमाल कर रहे होता है। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो हमें सारी सुविधाएं उपलब्ध कराता है। जिसके कारण हम अपने कंप्यूटर को आसानी से तथा सही ढंग से चला सके। सिस्टम सॉफ्टवेयर को हम users directly इस्तेमाल कर सकते हैं। यह Hardware Functionality से डायरेक्टली यूजर को interact करते हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। ऑपरेटिंग सिस्टम और यूटिलिटी प्रोग्राम में। ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की नीव होती है। तथा यूटिलिटी प्रोग्राम हमारे कंप्यूटर को मैनेज करने का कार्य करते हैं।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रकार (types System Software in hindi) -
सिस्टम सॉफ्टवेयर पांच प्रकार के होते हैं जो कंप्यूटर के हार्डवेयर की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। यह हार्डवेयर ओर यूजर्स के बीच functional interaction को मजबूत बनाते हैं। यह अन्य सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच कम्युनिकेशन सुनिश्चित करने के लिए मध्यस्थता का कार्य करते हैं। सिस्टम सॉफ्टवेयर को निम्न भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।(●) Operating System - यह हार्डवेयर सिस्टम प्रोग्राम तथा एप्लीकेशन के बीच कम्युनिकेशन को कंट्रोल करता है।
(●) Device Driver - यह OS तथा अन्य प्रोग्राम के साथ Device Communication को मजबूत बनाता है।
(●) Firware - यह device control और identification को Enable करता है।
(●) Translator - यह High-Level Language को low-level machine कोड में Translate करता है।
(●) Utility - यह Device और Application के बीच optimum functionality को सुनिश्चित करता है।
(1) Operating System - operating system एक प्रकार का ऐसा सिस्टम सॉफ्टवेयर कर्नेल होता है जो Hardware और Anduser के बीच होता है। इसे पहले कंप्यूटर पर इंस्टॉल किया जाता है। device ओर application को पहचानने के लिए ताकि वह कार्य कर सकें।
सिस्टम सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेयर की पहली layer होती है। जिसे हर बार कंप्यूटर के on होने पर मेमोरी में लोड किया जाता है। इसके भी कुछ प्रकार होते हैं।
■ Real-Time OS - यह रोबोट कार और मोडेम में इंस्टॉल किया जाता है।
■ Single-User and Single-Task OS - यह फोन जैसे सिंगल यूजर डिवाइस पर इंस्टॉल होता है।
■ Single-User and Multi Task OS - यह आधुनिक पर्सनल कंप्यूटर पर इंस्टॉल होता है।
■ Multi User OS - यह एक तरह से नेटवर्क वातावरण में इंस्टॉल होता है। जहां पर कई सारे यूजर्स को रिसोर्सेस को शेयर करना होता है।
■ Network OS - नेटवर्क सेटअप में फाइल, प्रिंटर रिसोर्सेस को शेयर करने में उपयोग किया जाता है।
■ Mobile OS - यह मोबाइल, फोन, टेबलेट और अन्य मोबाइल डिवाइसेस को चलाने में उपयोग किया जाता है।
(2) Device Drivers - यह एक प्रकार का ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो कंप्यूटर डिवाइस और उसके peripherals को जिंदा करने में सहायता प्रदान करता है। Drivers की मदद से ही सभी connected components और external add-on अपने कार्य कर पाते हैं। बिना OS के Drivers कोई कार्य नहीं कर पाता है।
(●) Device Driver - यह OS तथा अन्य प्रोग्राम के साथ Device Communication को मजबूत बनाता है।
(●) Firware - यह device control और identification को Enable करता है।
(●) Translator - यह High-Level Language को low-level machine कोड में Translate करता है।
(●) Utility - यह Device और Application के बीच optimum functionality को सुनिश्चित करता है।
(1) Operating System - operating system एक प्रकार का ऐसा सिस्टम सॉफ्टवेयर कर्नेल होता है जो Hardware और Anduser के बीच होता है। इसे पहले कंप्यूटर पर इंस्टॉल किया जाता है। device ओर application को पहचानने के लिए ताकि वह कार्य कर सकें।
सिस्टम सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेयर की पहली layer होती है। जिसे हर बार कंप्यूटर के on होने पर मेमोरी में लोड किया जाता है। इसके भी कुछ प्रकार होते हैं।
■ Real-Time OS - यह रोबोट कार और मोडेम में इंस्टॉल किया जाता है।
■ Single-User and Single-Task OS - यह फोन जैसे सिंगल यूजर डिवाइस पर इंस्टॉल होता है।
■ Single-User and Multi Task OS - यह आधुनिक पर्सनल कंप्यूटर पर इंस्टॉल होता है।
■ Multi User OS - यह एक तरह से नेटवर्क वातावरण में इंस्टॉल होता है। जहां पर कई सारे यूजर्स को रिसोर्सेस को शेयर करना होता है।
■ Network OS - नेटवर्क सेटअप में फाइल, प्रिंटर रिसोर्सेस को शेयर करने में उपयोग किया जाता है।
■ Mobile OS - यह मोबाइल, फोन, टेबलेट और अन्य मोबाइल डिवाइसेस को चलाने में उपयोग किया जाता है।
(2) Device Drivers - यह एक प्रकार का ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो कंप्यूटर डिवाइस और उसके peripherals को जिंदा करने में सहायता प्रदान करता है। Drivers की मदद से ही सभी connected components और external add-on अपने कार्य कर पाते हैं। बिना OS के Drivers कोई कार्य नहीं कर पाता है।
ऐसे डिवाइस जिन्हें Drivers की आवश्यकता होती है।keyboard, mouse, network card, printer, sound card, display card आदि।
(3) Firmware - Firmware एक ऐसा operational software होता है जिसे OS को पहचानने के लिए flash, Rom या EPROM मेमोरी चिप के भीतर embedded किया जाता है। यह किसी एक हार्डवेयर की सभी गतिविधियों को directly मैनेज और कंट्रोल कर सकता है।
पहले के समय में firmware एक fixed software के रूप में होता था। जिसे firm द्वारा दर्शाया जाता था। पहले इन्हें Non-Volatile Chip पर install किया गया था। और इन्हें केवल नए प्री प्रोग्राम्स चीप के साथ स्विप करके अपग्रेड किया जा सकता था। यह high-level software से अलग करने के लिए किया जाता था। जिन्हें बिना कोई component को swap किए ही अपडेट किया जाता था।
लेकिन आज के firmware को फ्लैश चीप में स्टोर किया जाता है। और अब इन्हें बिना semiconductor chip को swap किए बिना ही upgrade किया जा सकता है।
(4) Programming Language Translators - यह वे intermediate programs होते हैं जिनके ऊपर ज्यादा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम ही निर्भर करते हैं। high-level language वाले source code को machine language code में translate करने के लिए, पहले यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का एक कनेक्शन था। जो मनुष्य को समझने और code करने के लिए आसान है। जैसे - Python, java, C++, PHP, BASIC आदि। वही machine language एक प्रकार का complex code होता है जिन्हें केवल प्रोसेसर्स द्वारा ही समझा जाता है। इस code को machine language मैं convert किया जाता है। जिससे कि कंप्यूटर इसे आसानी से समझ सके। मशीन कोड को base-2 कि एक नंबर सिस्टम में लिखा गया है जिसे 0 से 1 में लिखा जाता है। यह एक प्रकार की low-level language है जो मनुष्य के समझ में नहीं आती है। ट्रांसलेटर्स सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के काम को सरल बनाने के अलावा विभिन्न प्रकार के डिजाइन कार्यों में भी मदद करते हैं।
■ यह प्रोग्राम के लिए डाटा स्टोरेज को एलोकेट करते हैं।
■ जब भी कोई नियमों का पालन नहीं करता है तो यह डायग्नोस्टिक रिपोर्ट प्रदान करते हैं।
■ यह सोर्स code और प्रोग्राम डिटेल्स दोनों को सूचीबद्ध करते हैं। यह भी तीन प्रकार के होते हैं।
Assembler, Compiler, Interpreter
(5) Utilities - Utilities उन system software को कहा जाता है जो system के application software के बीच में आते हैं। यह प्रोग्राम कंप्यूटर के लिए डायग्नोस्टिक और मेंटेनेंस task के लिए होते हैं। यह कंप्यूटर कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए काम में आते हैं। इनके कार्य महत्वपूर्ण डेटा सुरक्षा से डिस्क ड्राइव डिफ्रेंग्मेटेंशन तक भिन्न होता है। यह ज्यादातर third-party tools होते हैं। लेकिन यह ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ बंडल में आ सकते हैं। यह third-party tools available होते हैं या एक साथ बंडल किए गए होते हैं। जैसे कि Hiren Boot CD, Ultimate Boot ओर Kaspersky Rescue Disk आदि।
- Protocol क्या है। और ये कितने प्रकार के होते है।
- Network Interface Card किसे कहते है। इसका उपयोग कहा किया जाता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के कार्य -
सिस्टम सॉफ्टवेयर के बहुत सारे कार्य होते हैं। लेकिन हम आपको यहां पर कुछ कार्य व features के बारे में बताएंगे।(●) यह बहुत ज्यादा fast होते हैं।
(●) यह सिस्टम के बहुत ही ज्यादा निकट होते हैं।
(●) इनकी साइज बहुत छोटी होती है।
(●) इन्हें design करना बहुत ही मुश्किल होता है।
(●) ये बहुत ही कम interactive होते है।
(●) इन्हें समझना भी बहुत मुश्किल होता है।
(●) इन्हें manipulate करना बहुत मुश्किल होता है।
(●) और इन्हें ज्यादातर low-level language में लिखा जाता है।
- Search Engine क्या है। यह कैसे काम करता है।
- डोमेन नेम क्या है। इसका उपयोग किस तरह ओर कहा पर किया जाता है।
Conclusion -
आज इस पोस्ट में हमने आपको System Software किसे कहते है। तथा यह कितने प्रकार के होते है। इसके बारे में आपको पूरी जानकारी दी है। में आशा करता हु की आप लोगो को System Software किसे कहते है। इसके बारे में अच्छे से समझ आया होगा। अगर यदि आपको अभी भी इस पोस्ट को लेकर कुछ डाउट्स है या आप हमारी इस पोस्ट से असंतुष्ट है। या फिर हमारी इस पोस्ट में कुछ सुधार करने की जरूरत है या इस पोस्ट से जुड़ा कोई भी सवाल आपके मन मे है तो आप हमे नीचे comments करके जरूर बताये।ओर यदि आपको हमारी पोस्ट System Software किसे कहते है। हिंदी में अच्छी लगी हो ओर आपको इससे कुछ सीखने का मिला हो तो हमे comments करके आप जरूर बताए।ओर इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ whatsapp group , facebook ओर अन्य social networks site's पर शेयर करे और इस जानकारी को अन्य लोगो तक पहुचाने में हमारी मदद करे।
अभी के लिए बस इतना ही। हमारी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो।
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Computer systems