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Normalization क्या है। DBMS मे इसका use क्यो किया जाता है।

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हेलो दोस्तों तो कैसे हैं, आप लोग। हमारी पोस्ट में आपका स्वागत है। अगर आप कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट हैं, तो फिर यह पोस्ट आपके लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होने वाली है। दोस्तों अक्सर कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट को या फिर हम जब भी कंप्यूटर साइंस पढ़ते तो हमे DBMS पड़ने जरूर आता है। DBMS यानी ( Data Base Management System) तब आपने इसके अंदर Normalization के बारे में तो जरूर सुना ही होगा। अगर हा तो फिर आपको इसके बारे में पता ही होगा, की यह क्या होता है। अगर आपको Normalization के बारे में कुछ पता नहीं है, तो कोई बात नहीं। हम आज आपको इस पोस्ट में Normalization के बारे में पूरी जानकारी देंगे। इसलिए आप हमारे साथ अंत तक बने रहे, ताकि आपको Normalization के बारे मे अच्छे से पता चल जाए। लेकिन इससे पहले हम यह जान लेते Normalization हैं क्या। तो चलिए अब बिना देर किए शुरू करते हैं। 



नॉर्मलाइजेशन क्या है। (What is Normalization in hindi) -

दोस्तों Normalization एक ऐसी तकनीक होती है, जिसका उपयोग relational डेटाबेस को डिजाइन करने के लिए किया जाता है। यह Normalization Database डिजाइन को सरल बनाता है, और यह डेटाबेस डिजाइन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिसका मुख्य उद्देश्य शुद्ध Data को टेबल में रखना होता है। यह डेटाबेस की गति और सटीकता में सहायता करता है। Normalization दो चरणों की प्रक्रिया होती है। जो Data से repeating groups को हटाकर tabular प्रारूप यानी टेबल के रूप में रखती है। और फिर रिलेशनल टेबल से डुप्लीकेट (यानी एक जैसी) Entries को हटाती है, या remove करती है। अगर हम साधारण शब्दों में कहें तो Normalization वह प्रक्रिया होती है, जिसमें जटिल Database table को सरल रूप में decompose किया जाता है। 

Normalization का उद्देश्य ऐसी रिलेशनल टेबल समूह को बनाना होता है, जो redundant डाटा से मुक्त हो और जिसे लगातार शुद्धता के साथ Modified किया जा सके। 


Normalization का उद्देश्य -

Normalization का मुख्य उद्देश्य को redundancy को घटाना होता है। जिसका अर्थ होता है, कि किसी भी इंफॉर्मेशन को केवल एक ही बार स्टोर करना चाहिए। अगर एक ही इंफॉर्मेशन को कई बार संग्रहित या स्टोर कर लिया जाता है, तो इससे स्टोरेज बढ़ता है। और स्टोरेज स्पेस व्यर्थ जाता है। तथा रिलेशंस को normalized से तात्पर्य होता है, कि जब डेटाबेस में रिलेशन्स को alter किया जाए तो गुम नहीं होना चाहिए। 


डेटाबेस को Normalization करके हम data को टेबल और कॉलम दोनों में व्यवस्थित कर सकते हैं। यह confrim करते हैं, कि प्रत्येक टेबल में केवल संबंधित data होता है। और अगर Data उसे संबंधित नहीं होता है, तो उसे उस डाटा को लिए एक नई टेबल बनाते हैं। 


Normalization का सिद्धांत - 

Normalization का सिद्धांत Normal Froms पर आधारित होता है। मतलब अगर एक रिलेशनल टेबल यदि प्रतिबंधन (perbond) के समूह को संतुष्ट करता है, तो वह हम कह सकते हैं कि रिलेशनल टेबल नॉर्मल फॉर्म में है। 


Normalization step - 

दोस्तों Normalization की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती हैं। 

Step 1- पहले स्टेप में यह रिलेशनल (relational) टेबल में उपस्थित Redundant data को बाहर करता है। यहां पर Redundant data से मतलब है, वह डाटा जो एक से अधिक बार स्टोर हुआ हो। 


Step 2- दूसरे स्टेट में यह ensure करता है, कि टेबल में केवल उससे संबंधित या related data ही स्टोर हो। 


नॉर्मलाइजेशन के लाभ - (Benefits of Normalization in hindi) -

(1) यह data redundnacy को कम करने का कार्य करता है। मतलब यह डुप्लीकेट data को remove करता है। और एक information को एक ही बार store करता है। 

(2) यह अधिक कॉम्पैक्ट data को मैं परिणाम देता है। 

(3) यह क्वेरी को सरल बनाता है। 

(4) यह डेटाबेस संरचना को सरल तथा समझने योग्य आसान बनाता है। 

 (5) यह Null Values को कम करता है। 

Example of Normalization -

आज के समय में online परीक्षा कई दिनों तक चलती है, और उनमें हर दिन अलग-अलग पेपर आता है। इसलिए उनमें कौन सा पेपर कठिन होता है, तथा कौन सा सरल यह कहा नहीं जा सकता है। इसलिए किसी भी स्टूडेंट के साथ भेदभाव ना हो इसके लिए हर दिन के पेपर के अनुसार अंक निर्धारित कर दिए जाते हैं। और अंक निर्धारित करने लिए Normalization प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। 


मान लीजिए परीक्षा के पहले दिन का पेपर कठिन था। तो पहले से अनुमान लगा लिया जाता है, इस पेपर मे कोई यदि 70 नंबर लेकर आता है, तो उसे 100 मान लिया जाएगा। और यदि दूसरे दिन पेपर सरल था, तो ठीक इसका उल्टा कर दिया जाता है। उस दिन नंबर 100 नंबर लाने वाले को 70 नंबर मान लिया जाएगा। इस तरह किसी भी स्टूडेंट के साथ भेदभाव नहीं होगा। और सबको उनके अंकों के आधार पर सेलेक्त किया जायेगा। 



Normalization From के प्रकार - (Types of Normalization From) -

(1) First Normal From - 

First Normal From को 1NF से भी जाना जाता है। एक relational table 1NF में तब होती है, जब column कि सभी values atomic होगी। अर्थात उसमें repeating values नहीं होगी। तब वह first normal from मैं होगी। 

कोई टेबल 1NF में होगी यदि -

• टेबल में कोई भी duplicate row नहीं होगी। 

• प्रत्येक cell में single value होना चाहिए। 

• column में entries का प्रकार एक जैसा होना चाहिए। 


(2) Second Normal From - 

एक टेबल या रिलेशनल तब 2nd Normal From मैं होता है, जब वह 1NF की सभी जरूरतों या requirement को पूरा करता हो। तथा सभी non-key column primary key पर पुर्णत:  निर्भर हो। 


(3) Third Normal From - 

कोई भी टेबल 3NF में तब होगी, जब वह 2nd Normal from की सभी जरूरतों को पूरा करता हो। तथा non-key column उसकी primary key पर non transitively dependent होना चाहिए ।


दोस्तो मुझे उम्मीद है आपको हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी। 

Conclusion -

दोस्तो हमने आज आपको इस पोस्ट मे Normalization क्या है। और इसका उपयोग DBMS मे क्यों किया जाता है। इसकी पूरी जानकारी दी है। अगर आपको इस पोस्ट में कुछ समझ ना आया हो और अगर आपको इसमे कुछ dout's लगे तो आप हमें comments करके जरूर बताये। 


और अगर आपको हमारी पोस्ट Normalization क्या है। हिंदी में अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ what's app, facebook, Twitter, instagram और अन्य social media Site's पर शेयर करे। और इस जानकारी को दुसरे लोगों तक पहुँचाने में हमारी मदद करे। 


अभी के लिए बस इतना ही, मिलते है अगली पोस्ट में एक और नई जानकारी के साथ।तब तक आप ऐसे ही हमेशा खुश रहे मुस्कुराते रहिए  

हमारी पोस्ट पड़ने के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो। 


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