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ROM किसे कहते है। यह कितने प्रकार के होते है।

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हेलो दोस्तों तो कैसे है, आप लोग। आज के समय में हर कोई व्यक्ति स्मार्टफोन और कंप्यूटर का उपयोग करता है। अगर आप भी एक कंप्यूटर उपयोगकर्ता करता है। तो फिर आपको भी ROM के बारे में पता होगा।

जब भी कोई व्यक्ति नया स्मार्टफोन या कंप्यूटर लेने जाता है तो उसके दिमाग में सबसे पहले एक ही सवाल आता है। इसका ROM कितना है। लेकिन क्या आपने सोचा है आखिर यह ROM क्या है। ओर कंप्यूटर और स्मार्टफोन में इसका उपयोग क्यों किया जाता है। बहुत सारे लोगों को ROM के बारे में जानकारी नहीं होती है फिर भी उनका दिमाग में एक प्रश्न जरूर आता है कि हमने मोबाइल  या कंप्यूटर खरीदा तो उसमें उसका Internal Memory 32gb था लेकिन उसका स्पेस हमें 26gb या 28gb ही बताता है ऐसा क्यों होता है।
लेकिन अधिकतर लोगों को ROM के बारे में सही जानकारी नहीं होती है। और वह ROM का मतलब कुछ और ही समझ लेते हैं। और समझते हैं कि यह रोम केवल एक प्रकार के होते हैं। लेकिन असल में रोम कई प्रकार के होते हैं और टेक्नोलॉजी के हिसाब से दिन प्रतिदिन बदलते रहते हैं। ROM की सही जानकारी नहीं होने के कारण वह उसे कुछ और ही समझ लेते हैं। इसीलिए आज हम इस पोस्ट में आपको ROM के बारे में बताएंगे। ROM क्या है। तथा यह कितने प्रकार की होती है। और कैसे कार्य करती है। तो चलिए अब बिना देर किए शुरू करते हैं ROM क्या है।

ROM क्या है।(What is ROM in hindi) -

ROM kise kahte he
ROM एक तरह की मेमोरी होती है। जिसका पूरा नाम Read Only Memory होता है। यह एक ऐसी मेमोरी होती है जिसे केवल Data को Read किया जा सकता है। इसमें नया डाटा जोड़ा नहीं जा सकता है। और ना ही पुराना डाटा हटाया जा सकता है। इसमें Fixed Program रहता है। इस प्रोग्राम को हम आसानी से बदल नहीं सकते हैं। ROM में कंप्यूटर Functionality से संबंधित निर्देश स्टोर किए जाते हैं। जिसमें कंप्यूटर को चालू करना भी शामिल होता है। ROM का उपयोग हम कंप्यूटर या मोबाइल में audio, video, file, document और बहुत से application को स्टोर करने के लिए करते हैं। जब ROM में कंप्यूटर Functionality से संबंधित निर्देश को स्टोर करने के बाद कंप्यूटर को ON किया जाता है तो इसे Booting कहा जाता है। जब हम कंप्यूटर को खरीदते हैं तो उसमें पहले से ही BIOS Program रहता है। यह कंप्यूटर सिस्टम को ON करने में मदद करता है। और BIOS कंप्यूटर ओर ऑपरेटिंग सिस्टम से link रहता है। यह BIOS Program जिस मेमोरी में रहता है उसे ही ROM कहा जाता है। यदि ROM में हमारे पास ज्यादा data हे तो उसके लिए हम एक अलग से External device जैसे- मेमोरी कार्ड, हार्ड डिस्क, पेनड्राइव आदि लगा सकते हैं। और data को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं।
ROM kya hai
जब भी हम कंप्यूटर का उपयोग करते हैं और अचानक से लाइट चली जाती है तो इसमें स्टोर डाटा गायब नहीं होता है। ROM में हमारा डाटा परमानेंट से लाइफ टाइम तक स्टोर करके रख सकते हैं। इसलिए इसे permanent storage device भी कहा जाता है। ROM में एक बार प्रोग्रामिंग होने पर उसमें डाटा को सिर्फ Read किया जा सकता है। उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं। इस मेमोरी को नॉन वोलेटाइल मेमोरी (NoN-Volatile Memory) भी कहा जाता है। इस मेमोरी को जब कंप्यूटर का निर्माण किया जाता है तब ही इसे कंप्यूटर के साथ लगाया जाता है। ROM का उपयोग कंप्यूटर और मोबाइल में इस्तेमाल करने के साथ अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में भी इस्तेमाल करते हैं। जैसे- Washing Machines, Microwave, Ovans, AC, TV ओर अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या उपकरणों को ROM के द्वारा ही programed किया जाता है। यह एक ऐसी मेमोरी है जिसमे केवल डेटा को एक बार add किया जा सकता है। इसमे दोबारा डेटा को add या changed नही कर सकते है। तथा इसमे power off होने पर भी डेटा सुरक्षित रहता है।

ROM की विशेषता -

(●) ROM एक स्थाई मेमोरी या परमानेंट मेमोरी होती है।
(●) इसमें Basic Functionality के निर्देश स्टोर रहते हैं।
(●) ROM मेमोरी RAM से काफी सस्ती होती है।
(●) ROM एक Readable मेमोरी होती है। मतलब इसमें सारे इंफॉर्मेशन को केवल एक बार स्टोर किया जा सकता है।
(●) यह मेमोरी RAM की तुलना में सस्ती होती है।
(●) ROM में power supply off होने के बाद भी उसमें डाटा सुरक्षित रहता है। वह डिलीट नहीं होता है।
(●) यह एक स्थाई स्टोरेज डिवाइस होती है।
(●) यह बहुत ही कम ऊर्जा का इस्तेमाल करती है।
(●) यह CPU मेमोरी का एक भाग होती है।
(●) यह एक नॉन वोलेटाइल मेमोरी होती है। जिसमें पावर सप्लाई बंद होने पर भी डाटा बना रहता है।

ROM के प्रकार (Types of ROM In Hindi) -

ROM के निम्न प्रकार होते हैं जो यहां नीचे दिए गए हैं।
(1) MROM - इसका पूरा नाम Mask Read Only Memory होता है। यह सबसे पहला वाला ROM है। जिसका उपयोग आज के समय में बहुत कम किया जाता है। इसको manufuctures द्वारा डिवाइस में ही programed किया जाता है। यह एक Read Only Memory Hard Wired Devices है। जिसमें पहले से ही Data और instruction स्टोर किया जाता था। MROM अन्य ROM की तुलना में काफी सस्ती और कम स्पेस में ज्यादा डाटा स्टोर करने की क्षमता प्रदान करती है। आज के समय में MROM मिलना बहुत ही मुश्किल है।

(2) PROM -  PROM को programmable read only memory कहा जाता है। यह एक ऐसी मेमोरी है जिससे डाटा को सिर्फ एक बार लिखा जा सकता है जो हमेशा स्टोर रहता है। इसलिए इसे OTP (One Time Programmable) chip भी कहा जाता है। मतलब एक बार डाटा लिखने के बाद इसको erase नहीं कर सकते हैं। इसमें कुछ बदलना मतलब PROM में नया प्रोग्राम डालना और उसे update करना होता है। इसे एक बार update करने के बाद कोई दोबारा update नहीं कर सकता है। इस मेमोरी में छोटे-छोटे Fuse होते हैं। जिनके अंदर programming के जरिए Instruction डाला जाता है। PROM में डाटा write करने के लिए विशेष उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे PROM burner या PROM programmer कहा जाता है। जब इसमें डाटा write करते हैं तो इसे PROM burning कहते हैं।

(3) EPRM - इसका पुर नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें उपलब्ध डाटा को erase यानी मिटाया जा सकता है। और दोबारा programmed भी कर सकते हैं। इस मेमोरी को erase करने के लिए Ultra-Violet Light का इस्तेमाल किया जाता है। तब जाकर यह मेमोरी erase होती है। इसमें डाटा को हटाने के लिए करीब 40 बार डाटा को Ultra-Violet Light  से गुजरना पड़ता है। इस मेमोरी में लेजर की मदद से प्रोग्राम को डिलीट और एडिट कर सकते हैं यह बहुत सस्ती chip है इसमें दो बार reprogam कर सकते हैं।

(4) EEPROM - EEPROM के पुरा नाम Electrically Erasable Programmable Read Only Memory होता है। यह एक नॉन वोलेटाइल चीप है। इस मेमोरी में डाटा को मिटाने के लिए इलेक्ट्रिकल चार्ज का उपयोग किया जाता है। इस मेमोरी में फिर से reprogram किए गए डाटा को 10 हजार बार erase कर सकते हैं। और डाटा को लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है। इस मेमोरी में हम कोई भी location को select करके रख सकते हैं। और उसी को हम erase और programmed भी कर सकते हैं। यह मेमोरी PROM और EPROM की अपेक्षा काफी अच्छी है।         अब तो आप समझ गए होंगे  क्या है और यह कितने प्रकार की होती है अब हम यह जानेंगे यह कैसे काम करती है

ROM कैसे काम करती है।

कंप्यूटर के अंदर ROM एक चिप के आकार की होती है जो CPU और Motherboard से जुड़ी हुई रहती है। ROM का कार्य एक स्टोरेज के रूप में किया जाता है। जिसमें हम कुछ भी स्टोर करके रख सकते हैं। इससे mouse, keyboard, disk drive, सभी attached होते हैं। इसमें Software, application, app document आदि सब एक परमानेंट डिवाइस के रूप में होते हैं। ROM में हम कभी भी कुछ भी डाटा जैसे- ऑडियो , वीडियो, फाइल आदि को डायरेक्ट एक्सेस कर सकते है। RAM की तरह ROM में भी Colums और Row के grid होते हैं। लेकिन जहां पर भी यह Columns ओर Rows intersect करते हैं। वह इन Row Chips में Fundamentally अलग होते हैं। ROM में diode का इस्तेमाल किया जाता है। ROM के अंदर हम सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करके भी रख सकते हैं। ROM हमारे कंप्यूटर या मोबाइल की booting process और सिस्टम को सेव करने में हमारी मदद करता है। यह कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। जिसके बिना कंप्यूटर में डाटा स्टोर नहीं कर सकते हैं। ROM chip को कार्य करने के लिए उसकी programing पूरी तरह से सही होना बहुत आवश्यक होता है। जब chip को create किया जा रहा हो तब उसके साथ ही complete data का होना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए क्योंकि स्टैंडर्ड ROM चिप को दोबारा reprogram या rewrite नहीं कर सकते हैं। यदि गलती से भी ROM में कुछ गलत हो जाता है या कोई डाटा अपडेट करना होता तो इसके लिए हमें ROM को बदलना होता है या नया बनाना होता है। इसलिए ROM के Original template को क्रिएट करना बहुत ही कठिन कार्य होता है।

 Conclusion -

आज इस पोस्ट में हमने आपको  ROM किसे कहते है। तथा यह कितने प्रकार के होते  है। इसके बारे में आपको पूरी जानकारी दी है। में आशा करता हु की आप लोगो को ROM किसे कहते है। इसके बारे में अच्छे से समझ आया होगा। अगर यदि आपको अभी भी इस पोस्ट को लेकर कुछ डाउट्स है या आप हमारी इस पोस्ट से असंतुष्ट है। या फिर हमारी इस पोस्ट में कुछ सुधार करने की जरूरत है या इस पोस्ट से जुड़ा कोई भी सवाल आपके मन मे है तो आप हमे नीचे comments करके जरूर बताये।

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